एक मुलाकात ज़िन्दगी के साथ


कर ले तू हैरान चाहे जितना तू परेशान, ऐ ज़िन्दगी ।
दे तू अपमान चाहे अपनो से तिरस्कार, ऐ ज़िन्दगी ।।


लाख चाहे मेरे प्रयत्नों को कर दे तू विफल,                                  फेर दे मेरी मेहनत पर पानी ।                                                अजमा ले अपने सारे दाव-पेच, कर ले तू मनमानी।।


कब सुनी है तूने मेरी, कब बात है मेरी मानी ।                          बेवजह ज़िद्द पर अड़ी है वर्षों से कर रही है तू नादानी ।।



मेरे हर  action को flop किया तूने, अपनो से दिलाया धोखा है ।
कर ले तू इन्तहा-ए-सितम ज़िन्दगी, तुझे किसने रोका है ।।


अजब दिये तूने रिश्तेदार, गज़ब थी उनकी समझदारी ।
सब के सब रफूचक्कर हो लिए, जेब फटने की देर थी हमारी ।।


शायद तुझे पता नही ऐ जिंदगी, किस आशिक से पड़ा तेरा पाला है ।
तेरा दिया हरि जख्म सहेज कर रखा है,  हर दर्द को दिल में पाला है ।।


तेरी दी हर विफलता ने मज़बूत किया मेरा इरादा है ।
लक्ष्य अपना पाकर ही रहूंगा, ये ‘इन्द्र’  का तुझसे वादा है ।।


एक बात और याद रखना, ऐ ज़िन्दगी:
लक्ष्य प्राप्ति में मेरी, तू जितने रोड़े अटकायेगी ।                            ‘इन्द्र अरोड़ा’ की चाहत उतनी बढ़ती जायेगी ।।


जितना समय व्यर्थ करेगी मेरा, तू जितनी देर लगाएगी  ।
उतनी शिद्दत मेरी पक्की होगी, लक्ष्य की Intensity बढ़ती जायेगी ।। 


शायद सोचा था तूने टूट जाऊँगा मैं,  समाप्त कर लूंगा जीवन-लीला ।
इतना भी डरपोक नही मैं, न ही है मेरा विश्वास ढ़ीला ।।


तेरा दिया हर ज़ख्म याद रखूंगा, दर्द कभी न भूलूंगा ।
जितना तू linger on करेगी, उतना ज्यादा तुझसे वसूलूगा ।।


ऐ ज़िन्दगी, अपनी करनी पर तुझे ज़रा भी लाज नही आती ।
धूर्तों को सदा खुशहाल है रखती, सही लोगों को है तू रुलाती ।।


आदि काल में भी तूने कई निर्दोषों को सताया है ।
देवी सीता की अग्नि परीक्षा ली तूने, माता देवकी को जेल में रुलाया है 


“जंग” मेरी ये तुझसे एक मिसाल बन जायेगी ।
हर जगह शर्मिन्दा तू होगी, अपनी करनी पर पछताएगी ।।


फिर कभी न किसी struggler को इतना तू तड़पायेगी ।।
रूह काँपेगी तेरी भी, बेवजह जो देर लगाएगी ।।
रूह काँपेगी तेरी भी, बेवजह जो देर लगाएगी ।।।